"पिता"

                         "पिता"


वो शख़्स अब बूढ़ा हो गया है जो कल जवान था, ताक़त से भरपूर था।

वो हाथ अब बूढ़े हो गये है जो कल सबकी ढाल थे और शक्ति से परिपूर्ण थे।

वो आंखें अब बूढ़ी हो गई हैं जिनमें कल सितारों सी चमक थी और सपनों से लबरेज़ थीं।

वो माथा अब बूढ़ा हो गया है जो परिवार का मान था और सूरज सा आभामान था।

वो आवाज़ अब बूढ़ी हो गई है जो कल स्नेह का प्रतीक थी और डर से कोसो दूर थी।

वो सीना अब बूढ़ा हो गया है जो कल हमे बांहों में समेटे था और हमारा जहान था।

वो कमर अब बूढ़ी हो गई है जो कल हमारा झूला थी और दर्द से सूनी थी।

वो पैर अब बूढ़े हो गए हैं जो कल हमें चलना सिखाते थे हर मोड़ पर साथ निभाते थे।

ये सोचता हूं जब के पिता मेरा अब बूढ़ा हो रहा है ऐसा लगता मेरा आसमां बूढ़ा हो रहा है।
भर आता है मन्न देखकर के पिता मेरा बूढ़ा हो गया है।।







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