ये कैसा तेरा इंसाफ है???"
"ये कैसा तेरा इंसाफ है???"
तू क्या है तू कौन हैं
क्यों अब तक मौन है
सच मे तू इतना विशाल है
के बना सबका काल है
क्यों बन रहा नादान है
जब निर्दोष जीव भी परेशान है
तेरे लिए तो सब कुछ आसान है
फिर क्यों बुराई की जल रही मसान है
सबकी श्रद्धा का मान है
सबकी खुशियों की खान है
मैं भी हूं अहम हिस्सा तेरा
फिर मुझसे क्यूं अंजान है
धरती भी तेरी अम्बर भी तेरा
फिर क्यूं मचा घमासान है
अच्छाई भी तेरी बुराई भी तुझसे
फिर मुझपे क्यूं इल्जाम है
जो निर्दोष है वो ही सज़ा पाता है
ये कैसा तेरा इंसाफ है???
तू क्या है तू कौन हैं
क्यों अब तक मौन है
सच मे तू इतना विशाल है
के बना सबका काल है
क्यों बन रहा नादान है
जब निर्दोष जीव भी परेशान है
तेरे लिए तो सब कुछ आसान है
फिर क्यों बुराई की जल रही मसान है
सबकी श्रद्धा का मान है
सबकी खुशियों की खान है
मैं भी हूं अहम हिस्सा तेरा
फिर मुझसे क्यूं अंजान है
धरती भी तेरी अम्बर भी तेरा
फिर क्यूं मचा घमासान है
अच्छाई भी तेरी बुराई भी तुझसे
फिर मुझपे क्यूं इल्जाम है
जो निर्दोष है वो ही सज़ा पाता है
ये कैसा तेरा इंसाफ है???
True lines
ReplyDeleteThanku 😊
Deletenice ma'am ❤❤😍
ReplyDeleteThank u 😊
DeleteFantastic 😊
ReplyDeleteThank u Ayush 😊
DeleteNYC lines nehu...👌👌
ReplyDeleteThanku Priyanka ☺️
DeleteBhut khoob👌
ReplyDeleteThanku Akshay ☺️
DeleteWoww good job.
ReplyDeleteThanku dear 😊
Delete👌
ReplyDelete🙏
Delete👌
ReplyDelete🙏😊
DeleteBest lines ma'am
ReplyDeleteThanku Dheeraj
DeleteNice lines
ReplyDeleteGorgeous✨lines ma'am.... Carry on, don't stop
ReplyDeleteThanku Sandeep ☺️ yes sure, u keep reading my poems
Deletev nice
ReplyDeleteThanku Hitesh 😊
DeleteReally truth Ma'am
ReplyDeleteThanku beta
DeleteBeautifully crafted
ReplyDeleteThank you Archit😊
DeleteTruth
ReplyDelete👍
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