नयी उम्मीद New hope
मैं रहने लगा था गम की परछाइयों के साय में
तू आया तो ज़िन्दगी में खुशियों की धूप का साया आया।
मैं थक चूका था अपनों में अपनापन का भाव खोज कर
तू आया तो अपनी इस तलाश को पूरा पाया।
यूं तो आवारगी से मुझे पहले ही इश्क़ था
तू आया तो मेरे जहां में दोस्ती का नया रंग छाया।
मैं सहता आया हूं तन्हा ही इस दिल के दर्द को
तू आया तो मरहम सा कुछ अपने ज़ख्मों पे पाया।
तुझे भी जुदा हो जाना है एक दिन एक पल मे कभी
ये सोच फिर इन आंखों में पानी भर आया।।
तू आया तो ज़िन्दगी में खुशियों की धूप का साया आया।
मैं थक चूका था अपनों में अपनापन का भाव खोज कर
तू आया तो अपनी इस तलाश को पूरा पाया।
यूं तो आवारगी से मुझे पहले ही इश्क़ था
तू आया तो मेरे जहां में दोस्ती का नया रंग छाया।
मैं सहता आया हूं तन्हा ही इस दिल के दर्द को
तू आया तो मरहम सा कुछ अपने ज़ख्मों पे पाया।
तुझे भी जुदा हो जाना है एक दिन एक पल मे कभी
ये सोच फिर इन आंखों में पानी भर आया।।
Nice lines nehu����
ReplyDeletethanku Priyanka
DeleteBeautiful lines ����
ReplyDeletethank you Akshay. keep reading my blog
DeleteYeah ofcourse....
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBahut badhiya
ReplyDeleteshukriya Hitesh, keep reading
DeleteMeaningful lines
ReplyDeletethanku Mr. unknown
Deletewow
ReplyDeletethanku :)
DeleteItne ache thoughts kaha se le k aati h ... humhara dimag kyu nhi chalta ... kuch suggestion de
DeleteDimag se jada dil chalaiye sayad aa jaye aapko bhi
DeleteBeautiful poem
ReplyDeletethanks, keep reading
Delete😍
ReplyDelete:) keep reading
DeleteHeart touching.... Ma'am
ReplyDeleteThanku Sandeep ☺️
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