नयी उम्मीद New hope

मैं रहने लगा था गम की परछाइयों के साय में
तू आया तो ज़िन्दगी में खुशियों की धूप का साया आया।

मैं थक चूका था अपनों में अपनापन का भाव खोज कर
तू आया तो अपनी इस तलाश को पूरा पाया।

यूं तो आवारगी से मुझे पहले ही इश्क़ था
तू आया तो मेरे जहां में दोस्ती का नया रंग छाया।

मैं सहता आया हूं तन्हा ही इस दिल के दर्द को
तू आया तो मरहम सा कुछ अपने ज़ख्मों पे पाया।

तुझे भी जुदा हो जाना है एक दिन एक पल मे कभी
ये सोच फिर इन आंखों में पानी भर आया।।




                     
                                              



Comments

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  2. Replies
    1. Itne ache thoughts kaha se le k aati h ... humhara dimag kyu nhi chalta ... kuch suggestion de

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    2. Dimag se jada dil chalaiye sayad aa jaye aapko bhi

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